हरिद्वार। दैवीय आपदा से घरों को हुए नुकसान, परिवारों में मानव या पशु क्षति, भूमि कटाव और किसानों की फसलों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए सरकार द्वारा जनपद के 24991 प्रभावितों को अब तक 13 करोड़ 32 लाख 61 हजार की धनराशि की सहायता दी जा चुकी है।उक्त जानकारी देते हुए जनपद के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण, संस्कृति मंत्री एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि 19 जुलाई 2023 को जब उन्होंने जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों मोहम्मदपुरबुजुर्ग, लंढौरा, मुंडनाना, साउथ सीवर लाइन, खानपुर, मोहनपुर, रूड़की स्थित गणेशपुर, रेलवे स्टेशन, पनियाला भगवानपुर बाजार, जौनपुर से मोहम्मदपुर बुजुर्ग तटबंध, एवं बिरला टायर फैक्ट्री का भ्रमण किया किया तो हालातों का जायजा लेने के पश्चात प्रभावितों को फौर मदद देने के साथ साथ मैंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पानी में डूबे क्षेत्रों को आपदाग्रस्त क्षेत्र करने, लोगों के तीन माह के बिजली, पानी के बिल माफ करने और बैंकों से ऋण वसूली पर फिलहाल रोक लगाने का अनुरोध किया था। मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्री ने इन सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए जनता को प्रभावित क्षेत्रों को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने के साथ-साथ तीन माह के पानी, बिजली के बिल माफ करने और बैंकों से तीन माह तक ऋण वसूली पर रोक लगाने को कहा है।
जनपद के प्रभारी मंत्री महाराज ने कहा कि जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को प्रदेश सरकार लगातार मदद देने का प्रयास कर रही है। जनपद के आपदा प्रभावित कुल 6336 लाभार्थियों को अभी तक 01 करोड़ 37 लाख 9 हजार की धनराशि की सहायता दी जा चुकी है जबकि 761 लाभार्थियों, जिनके घरों को आपद से नुकसान पहुंचा है उन्हें गृह अनुदान के अन्तर्गत भी तक 44 लाख 41 हजार 300 रुपये की फौरी सहायता दी जा चुकी है। मंत्री सतपाल महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में जिन लोगों के परिवारों में मानव या पशु क्षति हुई है ऐसे 29 लाभार्थियों को 319100 रुपये की धनराशि दी गई है। वहीं प्रभावित 17805 किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की भरपाई के 10 करोड़ 89 लाख 25 हजार की धनराशि की सहायता प्रदान की गई है। इसके अलावा भूमि कटाव से हुई क्षति के तहत 60 लाभार्थियों को 436398 की धनराशि दी गई है।उन्होंने कहा कि जनपद की नदियों का चैनेलाईजेशन करवाने और समुचित ड्रेनेज की व्यवस्था के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। मनसा देवी मंदिर में हो रहे भूस्खलन की जांच के लिए उत्तराखंड भूस्खलन शमन केंद्र और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भू-तकनीकी (Geotechnical), स्थलाकृतिक (Topographical) और भूभौतिकीय (Geophysical) जांच करायें जाने के निर्देश दिए गए हैं।