नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच मुकाबला नहीं होना चाहिए। दरअसल कर्नाटक सरकार ने सूखा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया फंड से आर्थिक मदद देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस कर्नाटक की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारें इन दिनों अदालत आ रही हैं। जस्टिस मेहता ने कहा कि ‘मैं कहना नहीं चाहता, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है।’ केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से जवाब के लिए दो हफ्ते का समय मांगा। मेहता ने कहा कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बजाय इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए थी और यह मामला सुलझ सकता था। अदालत अब दो हफ्ते बाद इस मामले पर सुनवाई करेगी। कर्नाटक सरकार की याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार सूखे की स्थिति से निपटने के लिए राज्य को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया फंडे से सहायता राशि जारी नहीं कर रही है। याचिका में कहा गया है कि यह राज्य के लोगों के मौलिक अधइकारों का उल्लंघन है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत लोगों को मिला हुआ है। राज्य सरकार का कहना है कि सूखे के चलते लोगों की जिंदगी प्रभावित हो रही है और खरीफ की 2023 सीजन की फसल भी प्रभावित हो रही है। राज्य के 236 तालुकाओं में से 223 तालुका सूखाग्रस्त घोषित की गई हैं। कर्नाटक सरकार ने 18,171 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की मांग की थी। राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत और एडवोकेट जनरल के शशि किरण शेट्टी ने बताया कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत मदद देना केंद्र सरकार का दायित्व है।