देहरादून – ढोल-दमौं की गमक और मशकबीन की सुमधुर सुरलहरियों के बीच पहाड़ के पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी बच्चियां और बच्चे हाथों में फूलों भरी टोकरियां लिए आज सुबह उत्तरांचल प्रेस क्लब में प्रविष्ट हुए, तो पूरा क्लब परिसर और सभागार लोकरंग की महक से खिल उठा। अवसर था, प्रकृति और उल्लास के लोकपर्व ‘फूलदेई’ का।‘रंगोली आंदोलन’ के संस्थापक शशिभूषण मैठाणी और शिक्षिकाओं के साथ फूलदेई मनाने निकले लोकसंस्कृति के इन करीब 30-35 नन्हें संवाहकों का प्रेस क्लब पदाधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
गढ़-कुमाऊं की आस्था की प्रतीक देवडोली और ‘छंतोली’ के साथ क्लब पहुंचे बच्चों ने पुष्पवर्षा की और क्लब के डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल सभागार के द्वार पर परंपरानुसार ताजे फूल रखे। इस मौके पर आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में रंगोली आंदोलन के संस्थापक रंगोली आंदोलन के शशिभूषण मैठाणी ने कहा कि बसंत ऋतु का यह पर्व सबके जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली लाए, सभी की यह कामना है। उन्होंने कहा कि किसी राज्य की संस्कृति एवं परंपराओं की पहचान में लोक पर्वों की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि फूलदेई पहाड़ और मैदान दोनों के लिए विभिन्न क्षेत्रों, मसलन- पुष्प उत्पादन, रिंगाल उत्पादन, टोकरियों के निर्माण जैसी तमाम आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी माध्यम बन सकता है। क्लब के संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती ने कहा कि प्रेस क्लब में पहली बार फूलदेई मनाई गई है। फूलदेई उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपराओं से जुड़ा प्रमुख पर्व है।क्लब कोषाध्यक्ष नवीन कुमार, संतोष चमोली, हिमांशु बहुगुणा, केएस बिष्ट, दीपक बड़थ्वाल आदि भी इस अवसर पर मौजूद रहे।