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हाईस्कूल में 179 छात्रों ने टॉप-10 में जगह बनाई तो इंटर में 253 छात्र टॉप-10 में शामिल

लखनऊ, 25 अप्रैल। रिकॉर्ड समय में नकलविहीन परीक्षा कराने के बाद योगी सरकार ने एक और बड़ा कीर्तिमान कायम करते हुए महज 67 दिनों में यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं का परीक्षाफल घोषित करके 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जारी नतीजों में हाईस्कूल के 89.78 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं, जबकि इंटरमीडिएट में 75.12 प्रतिशत छात्रों ने सफलता प्राप्त की है। सीएम योगी ने सभी उत्तीर्ण छात्रों को शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही उन्होंने परीक्षाओं में राज्य स्तर और जनपद स्तर पर शीर्ष 10 में आने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने की भी घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि घोषिण परीक्षाफल के अनुसार हाईस्कूल में कुल 179 छात्रों ने टॉप-10 में जगह बनाई है तो इंटर में यह संख्या 253 है। दोनों परीक्षाओं में कुल 432 छात्र टॉप-10 में शुमार रहे हैं।महत्वपूर्ण बात ये है कि यूपी बोर्ड की परीक्षा सीबीएससी के 1 दिन बाद 16 फरवरी से शुरू हुई थी लेकिन यूपी बोर्ड का रिजल्ट सीबीएसई से पहले घोषित कर दिया गया, वह भी तब जब सीबीएसई की तुलना में यूपी बोर्ड में कई गुना छात्र अधिक हैं।

2019 का भी टूटा रिकॉर्ड
मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा परिषद के निदेशक महेंद्र देव और सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के नतीजे घोषित करते हुए इस उपलब्धि के बारे में जानकारी दी। बोर्ड के निदेशक महेंद्र देव ने बताया कि हाईस्कूल में सीतापुर की प्रियांसी सोनी ने 600 में 590 अंक लाकर शीर्ष स्थान हासिल किया है। वहीं, इंटर में महोबा के शुभ छापरा 500 में 489 अंक के साथ शीर्ष पर रहे हैं। बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 100 वर्षों के इतिहास में सबसे पहले परीक्षाफल घोषित करने का कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि 1921 में बोर्ड के गठन के बाद पहली बार 1923 में बोर्ड परीक्षा का संचालन किया गया था। तब से अब तक सबसे कम समय में बोर्ड ने परीक्षाफल घोषित किया है। इससे पहले 2019 में सबसे कम समय में 27 अप्रैल को परीक्षाफल की घोषणा हुई थी। तब 7 फरवरी से परीक्षा की शुरुआत हुई और 89 दिन में परीक्षाफल घोषित किया गया। इस बार 16 फरवरी के बाद परीक्षाएं आयोजित कराई गईं और कुल 67 दिन में परीक्षाफल घोषित कर दिया गया।

ग्रीवांस सेल करेगा छात्रों की समस्या का निराकरण
दिब्यकांत शुक्ल ने ये भी बताया कि मुख्यमंत्री योगी की मंशा के अनुरूप इस वर्ष बोर्ड ने नकल विहीन परीक्षा कराने में सफलता प्राप्त की थी। 30 वर्षों में यह पहला अवसर रहा जब कोई पेपर न तो वायरल हुआ, न ही रांग ओपनिंग हुई,न ही कोई परीक्षा रद की गई और न ही सामूहिक नकल हुई। उन्होंने बताया कि विश्व का सबसे बड़ा बोर्ड होने के नाते यह गौरव की बात है कि विगत 100 वर्ष में यह पहला अवसर है जब सारे रिजल्ट पूर्ण हैं। पहले किसी न किसी वजह से कुछ रिजल्ट अपूर्ण रह जाते थे। उन्होंने बताया कि परीक्षाफल घोषित होने के बाद अब ग्रीवांस सेल छात्रों की समस्याओं का निराकरण करेगा। सभी क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर ग्रीवांस सेल खोले गए हैं, जो अगले सप्ताह से कार्य करना शुरू कर देंगे। प्रार्थना पत्र देने वाले छात्रों की समस्याओं का यहां समयसीमा के अंदर निराकरण होगा। सोमवार के बाद स्क्रूटनी के आवेदन का भी कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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सीएम योगी ने दी बधाई
उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को सीएम योगी ने ट्वीट कर बधाई दी। उन्होंने लिखा, माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश की 10वीं व 12वीं कक्षा की परीक्षा में उत्तीर्ण सभी छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों व गुरुजनों को हृदय से बधाई। आप सभी ‘नए उत्तर प्रदेश’ के स्वर्णिम भविष्य के आधार स्तंभ हैं। मां सरस्वती की कृपा से आप सभी का भविष्य उज्ज्वल हो, यही कामना है। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में राज्य स्तर पर शीर्ष 10 स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को राज्य स्तर पर तथा जनपद स्तर पर शीर्ष 10 स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को जनपद स्तर पर राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

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तय समय से पहले हो गया उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन
बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भी यूपी बोर्ड ने एक और इतिहास रचा है। यूपी बोर्ड के सभापति डॉ.महेंद्र देव ने बताया कि इस बार यूपी बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 18 मार्च से शुरू हुआ था। उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के लिए प्रदेश में 258 केंद्र बनाए थे जिनमे कुल 3.19 करोड़ पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाना था। इसके लिए 1,43,933 परीक्षक लगाए गए थे। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन पूरा होने की तिथि 1 अप्रैल तय की गई थी, लेकिन बोर्ड ने एक दिन पहले यानी 31 मार्च, 2023 को ही मूल्यांकन पूरा कर लिया। यह भी एक कीर्तिमान है। ओएमआर शीट पर पहली बार हुई हाईस्कूल की 20 अंकों की परीक्षा का मूल्यांकन परीक्षा के दौरान ही शुरू करा दिया गया था। मूल्यांकन केंद्रों के चारों ओर 100 मीटर की परिधि में धारा 144 के बीच कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और सीसीटीवी कैमरों की नजरों के बीच पारदर्शी तरीके से मूल्यांकन संपन्न कराया गया।

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