ऋषिकेश – एम्स ऋषिकेश में हुआ दीक्षांत समारोह। दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि रहे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया। विशिष्ट अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार रही उपस्थित। एम्स के दीक्षांत समारोह में यूजी, पीजी, स्नातक, सहित पैरामेडिकल कोर्स के छात्र छात्राओं को दी गई डिग्री। समारोह में 1041 छात्र छात्राओं को दी गई डिग्री। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा कि पासआउट स्टूडेंट्स ने अभी एजुकेशन की डिग्री हासिल की है, उनके लिए सामाजिक जीवन की शिक्षा लेनी और समाज की कसौटी पर खरा उतरना अभी बाकी है, जो कि बेहतर चिकित्सा सेवा के संकल्प से ही संभव है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति जीवन में सीखता और बदलता है वही प्रगति करता है। कहा कि जिस दिन चिकित्सकों के मन में नागरिक स्वास्थ्य का भाव जाग जाएगा उस दिन उन्हें पैसा गौण लगने लगेगा। उन्होंने कहा कि पासआउट स्टूडेंट्स से उनके माता पिता, गुरुजनों के साथ ही देश की भी बहुत उम्मीदें होती हैं, लिहाजा उन्हें इन सबकी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा कि जीवन में लक्ष्य हमेशा ऊंचा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि हमारे देश के चिकित्सक अपने चिकित्सा सेवा के पेशे के प्रति दुनिया के अन्य देशों से अधिक जिम्मेदार हैं। उन्होंने बताया कि कोविड 19 के दौर में दुनिया के कई विकसित देशों के चिकित्सकों ने अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन नहीं किया, मगर हमारे चिकित्सक प्रतिबद्धता के साथ अपना घरबार छोड़कर दिनरात मरीजों कीसेवा में जुटे रहे।उन्होंने पासआउट स्टूडेंट्स को सीख दी कि उन्हें हमेशा भावना व संवेदना से सराबोर होना चाहिए, साथ ही देश की संवेदना का ध्यान रखना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने कहा कि हमारे जवान हमेशा देश की सीमाओं की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं,इसी तरह देश की 140 करोड़ आबादी को भी देश के लिए समर्पित भाव से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में सफलता के लिए हमें हमेशा समाज के प्रति कर्तव्यभाव अपनाना होगा, यही जीवन की आधारशीला है। हमारे मन में प्रत्येक कार्य क्षेत्र में परिवार का भाव होना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत सरकार दूसरी सरकारों की तर्ज पर सिर्फ चल नहीं रही है, बल्कि अपना बेस्ट आउटपुट देने के प्रयास में जुटी है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एम्स में 100 करोड़ से अधिक लागत से तैयार होने वाले 150 बेड के क्रिटिकल केयर अस्पताल का लाभ पूरे उत्तराखंड को मिलेगा। इस दौरान उन्होंने संस्थान की शोध पत्रिका एवं स्वास्थ्य चेतना पत्रिका का विधिवत विमोचन किया।
इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि वर्तमान में एम्स संस्थान के लिए लगभग 2000 चिकित्सक सेवारत हैं, जो कि मेडिकल एजुकेशन के साथ साथ मरीजों के उपचार में भी सेवारत हैं। कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने एम्स की अभी तक उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं, राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक ड्रोन द्वारा दवा पहुंचाने का सफल ट्रायल, डिजिटल हेल्थ सुविधाओं, आयुष्मान योजना, आभा आईडी, टेलि कन्सल्टेंशन, हेली एम्बुलेन्स, पीडियाट्रिक आईसीयू, किडनी ट्रांसप्लांट सुविधा और टेलिमेडिसिन सेवाओं सहित विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं का जिक्र करते हुए इसे संस्थान की उपलब्धि से जोड़ा। साथ ही उन्होंने कहा कि अस्पताल में 100 से अधिक सेवावीर दिन-रात मरीजों की सेवामें जुटे हैं। कहा कि डिग्री प्राप्त करने वाले नए चिकित्सकों को अपना एटीट्यूड विकसित करने की आवश्यकता है। प्रैक्टिस करते समय मरीजों के साथ पेश आने का सलीके से भी मरीज का समय पर स्वस्थ होना निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि यह हम सभी के अथक प्रयास का नतीजा है कि एनआईआरएफ भारत सरकार की रैंकिंग में एम्स ऋषिकेश 22 वें स्थान पर हैं।समारोह में एम्स संस्थान के अध्यक्ष पद्मश्री प्रोफेसर समीरन नंदी, दीक्षांत समारोह की नोडल ऑफिसर प्रोफेसर लतिका मोहन, डीन एकेडमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी, चिकित्साअधीक्षक प्रो. संजीव मित्तल, डीन एग्जामिनेशन प्रो. प्रशांत पाटिल,डीन रिसर्च प्रो. एसके हांडू आदि ने भी विशेषरूप से शिरकत की।