देहरादून – कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में आज सचिवालय में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान, देहरादून की साधारण सभा एवं प्रबन्ध कार्यकारिणी की बैठक सम्पन्न हुयी। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हमें राजभाषा के साथ ही स्थानीय बोली-भाषाओं के प्रचार प्रसार पर कार्य करना होगा।कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा साहित्यकारों के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि पर्यटन से जोड़ते हुए प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकारों के ग्रामों को साहित्य ग्राम के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जिससे साहित्य लेखन से जुड़े देशी-विदेशी पर्यटकों को इसका लाभ मिल सके।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान के अन्तर्गत बाल साहित्य को भी जोड़ा जाए। शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा एससीईआरटी से समन्वय बनाते हुए स्थानीय बोली भाषाओं में कहानी, लघुकथा एवं नाटक आदि को छोटे बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल कराया जाए।उन्होंने उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान के अन्तर्गत ऐसे वरिष्ठ साहित्यकारों, जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है, उनके लिए सम्मान धनराशि को एक लाख रुपए से बढ़ाकर एक लाख इक्यावन हजार रुपए किए जाने की बात कही। उन्होंने नवोदित साहित्यकारों को पुस्तक प्रकाशन में भी सहायता प्रदान किए जाने के निर्देश दिए।कैबिनेट मंत्री ने विभाग की नियमावली एवं ढांचा शीघ्र तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार एवं सम्मान की नियमावली शीघ्र तैयार की जाए।
इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर, विनोद रतूड़ी, निदेशक उत्तराखण्ड भाषा संस्थान स्वाति भदौरिया, कुलपति दून विश्वविद्यालय डॉ. सुरेखा डंगवाल, कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृति विश्वविद्यालय प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, नरेन्द्र सिंह नेगी, डॉ. सुधारानी पाण्डेय, डॉ. हरिसुमन बिष्ट, प्रो. देव सिंह पोखरिया, प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी, प्रो. मृदुला जुगरान, डॉ. हयात सिंह रावत एवं कौस्तुभानंद चंदोला सहित प्रबन्ध कार्यकारिणी के अन्य वरिष्ठ सदस्य उपस्थित थे।