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ट्रेड यूनियनों का ‘भारत बंद’ : राजधानी दून मे निकला जुलूस, मुख्यालय पर प्रदर्शन

देहरादून। केंद्र सरकार पर मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने आज ‘भारत बंद’ का एलान किया था, जिसके क्रम मे उत्तराखंड की राजधानी दून मे ट्रेड यूनियनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने स्थानीय गांधी पार्क मे धरना देने के उपरांत जुलूस निकाल कर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियो ने केंद्र व उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथों लिया।
पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज प्रातः 11 : 30 बजे ट्रेड यूनियनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने स्थानीय गांधी पार्क मे एकत्र होकर केंद्र व राज्य सरकार की जन विरोधी नीतियों का विरोध करते हुये प्रदर्शन किया और बरसात के बावजूद धरना दिया। दोपहर 12:00 बजे से प्रदर्शनकारियो ने केंद्र व उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथों लेते हुये गांधी पार्क से जिला मुख्यालय तक विशाल रैली निकालकर केंद्र और राज्य सरकार की जन विरोधी नीतियों का जमकर विरोध करते हुये जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। सीटू सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स के प्रांतीय सचिव लेखराज ने कहा कि देशव्यापी हड़ताल एक ऐतिहासिक हड़ताल रहीं। उन्होंने कहा कि बैंक, बीमा सेक्टर से जुड़े संस्थान हड़ताल पर रहे हैं। यह हड़ताल सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ की गई, इसमें आशा आंगनबाड़ी, भोजन माता, संविदा कर्मी, मजदूर संगठन समेत डाकपत्थर विकास नगर रूट की बसें, सेलाकुई के ई रिक्शा वर्कर्स और बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी यूनियनें हड़ताल पर रहीं। उन्होंने कहा की सीटू, एटक, इंटक से जुड़ी यूनियन मुख्य रूप से हड़ताल पर रहीं हैं, इसके अलावा आज हड़ताल में बस्ती बचाओ आंदोलन की भी भागीदारी रहीं। इसमें एलिवेटेड रोड के खिलाफ बस्तियों के ध्वस्तीकरण के विरोध में बड़ी संख्या में बस्ती वासी भी शामिल हुये।
इसी क्रम में ओएलएफ देहरादून के कर्मचारियों द्वारा फैक्ट्री के प्रशासनिक द्वार पर जोरदार प्रदर्शन और नारेबाज़ी के माध्यम से भारत सरकार की नीतियों का विरोध किया। ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री कर्मचारी यूनियन, देहरादून ने प्रदर्शन के माध्यम माँग की कि एनपीएस एवं यूपीएस पेंशन स्कीम को समाप्त किया जाये और पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाये एव अनुकंपा नियुक्ति नीति को पुनः लागू किया जाये। कर्मचारियों ने मांग की कि आयुध निर्माणियों को कॉरपोरेशन से बाहर कर पुनः सरकारी नियंत्रण में लाया जाये। 8वें वेतन आयोग का गठन शीघ्र किया जाए।

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