₹11,869 करोड़ की लागत से बन रहा चार फेज़ वाला प्रोजेक्ट

दिल्ली से देहरादून तक एक्सप्रेसवे पर सफर करने वालों को अब थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। जो एक्सप्रेसवे इस साल अक्टूबर-नवंबर में खुलने वाला था, अब उसकी नई डेडलाइन फरवरी 2026 तय की गई है। यानी यात्रियों को राजधानी से देवभूमि तक की तेज और सुगम यात्रा के लिए करीब चार महीने और इंतजार करना होगा। हालांकि अच्छी खबर यह है कि काम अपने अंतिम चरण में है और सभी चार फेज पूरे होने के बाद ही इसका भव्य उद्घाटन किया जाएगा।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि एक्सप्रेसवे का उद्घाटन तभी होगा जब इसके सभी फेज पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे। करीब ₹11,869 करोड़ की लागत से बन रहे इस प्रोजेक्ट को मूल रूप से दिसंबर 2024 में पूरा करने की योजना थी, जिसे बाद में अक्टूबर 2025 तक बढ़ाया गया था। लेकिन अब नई समयसीमा फरवरी 2026 तय की गई है।

चार फेज़ में बन रहा है एक्सप्रेसवे

इस हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण चार हिस्सों में चल रहा है, जिनकी प्रगति इस प्रकार है

फेज 1: दिल्ली से खेकड़ा तक पूरा

अक्षरधाम से गीता कॉलोनी, शास्त्री पार्क, गाजियाबाद के मंडोला विहार और बागपत के खेकड़ा तक का हिस्सा पूरी तरह तैयार है। सितंबर में भारी बारिश के दौरान कुछ बाइक सवारों ने बैरियर हटाकर इसका उपयोग भी किया था।

फेज 2: बागपत से सहारनपुर तक लगभग तैयार

इस सेक्शन का अधिकतर निर्माण पूरा हो चुका है, केवल कुछ जगहों पर फिनिशिंग कार्य शेष है।

फेज 3: सहारनपुर से गणेशपुर तक चौड़ीकरण

सहारनपुर बाइपास से गणेशपुर तक की मौजूदा सड़क को चौड़ा किया जा रहा है। काम अंतिम चरण में है।

फेज 4: देहरादून सेक्शन में फिनिशिंग कार्य जारी

देहरादून के पास एलिवेटेड सेक्शन पर सुरक्षा और सौंदर्यीकरण कार्य चल रहा है। दात काली मंदिर क्षेत्र में टनल और प्रोटेक्शन वर्क नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।

2021 में रखी गई थी नींव

26 फरवरी 2021 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने परियोजना की नींव रखी थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2021 को शिलान्यास किया। एक्सप्रेसवे अक्षरधाम से शुरू होकर बागपत, बारौत, शामली, सहारनपुर होते हुए देहरादून तक पहुंचेगा।

मुख्य विशेषताएं 

  • 12 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर : राजाजी नेशनल पार्क से गुजरने वाला एशिया का सबसे लंबा कॉरिडोर
  • 6 एनिमल अंडरपास : वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही के लिए
  • 100 से ज्यादा अंडरपास और 5 रेलवे ओवरब्रिज
  • बेहतर कनेक्टिविटी : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल और हरिद्वार-रुड़की रोड से लिंक

पर्यावरण विवाद और पहल

शुरुआत से ही प्रोजेक्ट पर जंगलों की कटाई को लेकर सवाल उठे। राज्यसभा में जुलाई 2025 में दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक 17,913 पेड़ काटे या ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। एनएचएआई का दावा है कि इसके बदले 50,600 नए पेड़ लगाए जा रहे हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वन विभागों को इसके लिए ₹40 करोड़ दिए गए हैं। मार्च में एनजीटी ने अफोरेस्टेशन रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर प्राधिकरण पर जुर्माना भी लगाया था।

हालांकि एक्सप्रेसवे का इंतजार अब थोड़ा लंबा हो गया है, लेकिन फरवरी 2026 में इसके शुरू होने के बाद दिल्ली से देहरादून तक की यात्रा पहले से कहीं अधिक तेज, सुरक्षित और आरामदायक होगी। यह प्रोजेक्ट उत्तर भारत के बुनियादी ढांचे को नई दिशा देने वाला साबित होगा।