नंदा की चौकी पुल की मरम्मत को हरी झंडी , 16 करोड़ की डीपीआर पास
1992 की गलती अब नहीं दोहराई जाएगी , ओपन फाउंडेशन हटेगा, वेल फाउंडेशन बनेगा
सोमवार देर रात से एप्रोच मार्ग पर टाइल्स बिछाने का काम शुरू
देहरादून। प्रेमनगर और आसपास के लाखों लोगों की सबसे बड़ी समस्या रहे नंदा की चौकी पुल को लेकर आखिरकार राहतभरी खबर सामने आई है। पांवटा साहिब राजमार्ग पर स्थित यह पुल 15 सितंबर की रात अतिवृष्टि में क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन अब इसकी मरम्मत के लिए 16 करोड़ रुपये की डीपीआर को मंजूरी मिल गई है और विभाग ने टेंडर भी जारी कर दिए हैं।
इससे क्षेत्र के लोगों में दोबारा उम्मीद जग गई है कि जल्द ही इस जाम और परेशानी से छुटकारा मिलेगा।
अतिवृष्टि के दौरान टौंस नदी के उफान में पुल की पांवटा साहिब छोर वाली एबटमेंट वाल ढह गई थी। कारण साफ है — पुल 1992 में ओपन फाउंडेशन पर बना था, जबकि नदी वाले क्षेत्र में वेल फाउंडेशन ही सुरक्षित विकल्प होता है।
नई डीपीआर में यह बड़ी चूक सुधारी गई है।
- अब पूरा सुदृढ़ीकरण वेल फाउंडेशन पर होगा,
- पुल को भविष्य के 100 साल के भार और डिस्चार्ज को ध्यान में रखकर मजबूत बनाया जाएगा।
यह बदलाव न सिर्फ तकनीकी सुधार है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भरोसे की वापसी भी है।
दो महीने से परेशानियां झेल रहे लोग — अब राहत की आहट
पुल टूटने के बाद से हाईवे पर यातायात ह्यूम पाइप वाली अस्थायी पुलिया से चल रहा है। एप्रोच रोड टूटी हुई है, जाम रोज़ का दर्द बन गया है, और स्कूल–कॉलेज जाने वाले छात्रों को कई किलोमीटर तक रूकी हुई लाइनें झेलनी पड़ रही हैं।
लोगों का सवाल — “इतने बड़े राजमार्ग पर ऐसी लापरवाही क्यों?”
स्थानीय नागरिकों का गुस्सा और चिंता दोनों चरम पर हैं।
“हमारे बच्चे रोज इस रास्ते से स्कूल जाते हैं, डर लगता है,” एक अभिभावक ने कहा।
“15–20 मिनट का रास्ता अब एक घंटे में पार हो रहा है,” रोजाना आने-जाने वाले छात्रों ने बताया।
दुकानदारों का कहना है कि फुटफॉल आधा हो गया है।
पुल की अचानक क्षति ने लोगों के भरोसे पर भी चोट की है। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि अगर समय पर मजबूत नींव बनाई जाती तो पूरे क्षेत्र को इस दुश्चक्र से नहीं गुजरना पड़ता।
उम्मीद की किरण : रात में शुरू हुआ टाइल्स बिछाने का काम
यातायात सुचारू करने के लिए बनाई गई अस्थायी ह्यूम पाइप पुलिया के एप्रोच मार्ग की स्थिति खराब हो चुकी थी। गड्ढों से भरी सड़क पर दोपहिया और चौपहिया वाहनों के फंसने की घटनाएं सामने आती रहीं।
अच्छी खबर यह है कि सोमवार देर रात से एप्रोच मार्ग पर टाइल्स बिछाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसे मजबूती देने के बाद अस्थायी पुल पर वाहनों की आवाजाही कुछ हद तक आसान हो जाएगी। विभाग का दावा है कि मुख्य पुल बनने तक आवागमन में लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
लेकिन अब डीपीआर पास होने और टेंडर शुरू होने के बाद लोगों में राहत की भावना साफ दिख रही है।
स्थानीय निवासी इसे “सबसे बड़ी उम्मीद की खबर” बता रहे हैं।
अधिकारियों का दावा : 2–3 महीने में खुलेगा पुल
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार 16 करोड़ की लागत से सुदृढ़ीकरण कार्य होगा और दो से तीन महीने में पुल फिर से यातायात के लिए खोल दिया जाएगा।
यह समय सीमा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा सुकून दे रही है, क्योंकि रोजाना का जीवन फिलहाल इस पुल पर ही निर्भर है।