25 से ज्यादा शिक्षकों की हुई पहचान, सभी दस्तावेजों की होगी दोबारा जांच
दो राज्यों के स्थायी निवासी साबित हुए तो होगी बर्खास्तगी: सीईओ गोविंद जायसवाल
ऊधमसिंहनगर के बाद नैनीताल भी चपेट में, एक निलंबित—एक ने दी नौकरी से इस्तीफा
नैनीताल :
नैनीताल जिले में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बड़ा घोटाला सामने आया है। खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश से डीएलएड (D.El.Ed.) की योग्यता रखने वाले कई अभ्यर्थियों ने उत्तराखंड के फर्जी स्थायी निवास प्रमाणपत्र (PRC) लगाकर सहायक शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली।
ऊधमसिंहनगर जिले के बाद अब नैनीताल में भी यह बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी से पता चला है कि जिले में 25 से ज्यादा ऐसे शिक्षक कार्यरत हैं जिन्होंने यूपी से डीएलएड किया है, लेकिन नौकरी के लिए उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाणपत्र इस्तेमाल किया।
शिक्षा विभाग ने ऐसे सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की विस्तृत जांच शुरू करने का फैसला किया है। विभाग का कहना है कि यदि जांच में दो राज्यों के स्थायी निवासी होने की पुष्टि होती है तो संबंधित शिक्षकों को बर्खास्त किया जाएगा।
ज्ञात हो कि ऊधमसिंहनगर में भी ऐसे मामलों में कार्रवाई की जा रही है। वहां एक शिक्षक को निलंबित किया जा चुका है, जबकि एक शिक्षिका ने जांच से पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया।
मुख्य शिक्षाधिकारी (सीईओ) गोविंद जायसवाल ने साफ कहा कि दो जगह स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनवाना आपराधिक कृत्य है। यदि अभ्यर्थी यूपी का स्थायी निवासी है और वहीं से डीएलएड करने के बाद उत्तराखंड का PRC बनवाकर नौकरी लेता है, तो यह सीधी धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई तय है।
नैनीताल में जारी जांच के बाद अब उन शिक्षकों में खलबली मची है जिन्होंने यूपी से डीएलएड करने के बावजूद उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर सहायक शिक्षक भर्ती में नियुक्ति हासिल की थी।