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एतिहासिक समान नागरिक संहिता लागू होने पर हर्ष जताया

देहरादून। भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष व सासंद राज्य सभा डा.नरेश बंसल ने उत्तराखंड में आज जनभावनाओ के अनुरूप एतिहासिक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने पर हर्ष जताया है। इसे लोकतंत्र मे स्वर्णिम दिन बताया। डा. नरेश बंसल ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया है,यह देश के लिए एक नजिर साबित होगा।

डा. नरेश बंसल ने कहा की विकल्प रहित संकल्प के धनी उत्तराखंड के उर्जावान,युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने आदरणीय प्रधानसेवक नरेंद्र भाई मोदी जी के मार्गदर्शन मे सरकार गठन में यही पहला निर्णय लिया था और आज वह दिन आ गया। लगभग तीन साल होने को हैं। इस दिन का बेसब्री का इंतजार था जो आज पूरा हो गया है।

भाजपा जो कहती है करती है। डा. नरेश बंसल ने कहा कि यह हमारे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए भी स्वर्णिम दिन है व लोकतंत्र का सही मायने मे पूरक है जहां हर नागरिक के समान अधिकार होगें। डा. नरेश बंसल ने कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद शादी के रजिस्ट्रेशन से लेकर तलाक तक सभी धर्म और मजहब के लोगों के लिए कानून एक समान हो गए है व उत्तराखंड में लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।यूसीसी जाती धर्म लिंग आदि में अंतर के आधार पर कानूनी आधार पर समाप्त करने का उपाय है। महिला सशक्तीकरण के साथ साथ सुरक्षा भी होगी। हलाला, तलाक जैसी कुप्रथा पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी। लिव इन में रजिस्ट्रेशन से दोनों पक्षों को सुरक्षा मिलेगी। समान नागरिक संहिता को पूरे उत्तराखंड में लागू हो गया है।

यह कानून राज्य के बाहर रहने वाले उत्तराखंड वासियों पर भी लागू होगा। डा. नरेश बंसल ने कहा की माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी इस ऐतिहासिक काम के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जी को धन्यवाद दिया है जिनके सहयोग से यह सब हो रहा है वह भी उनका हार्दिक आभार व धन्यवाद व्यक्त करते हैं जिन्होंने जन भावना के अनुरूप काम करते हुए इसको उत्तराखंड मे लागू किया है।डा. नरेश बंसल ने कहा कि गहन चिंतन और मनन के बाद समान नागरिक संहिता को लागू किया गया है व इसके सभी सहयोगी साधुवाद के पात्र है। डा. नरेश बंसल ने कहा कि उत्तराखंड में 27 जनवरी समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा इसके लिए वह सभी को बधाई देते है। डा. नरेश बंसल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद के आधार पर जनजातियों को अलग रखा है व यूसीसी किसी धर्म या सम्प्रदाय के ख़िलाफ़ नहीं है। यहां किसी को टारगेट करने के लिए नहीं है।यह समानता से समरास्ता का मार्ग है।

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