देहरादून – उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री की ओर से की जा रही एक पहल समूचे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। ये पहल है ‘उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू करने की है । उनकी कोशिश अगर कामयाब होती है तो निश्चित रूप से पूरे देश के लिए ये मील का पत्थर साबित होगी।समान नागरिक संहिता का मतलब है सभी धर्मों के लिए एक ही कानून। इसके जरिए हर धर्म के लोगों को एक समान कानून की परिधि में लाया जाएगा। शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने समेत तमाम विषय इसमें शामिल होंगे। भले ही कुछ लोग इसे राजनीतिक मुद्दा समझें और सियासी मोड़ दें, लेकिन तमाम हाई कोर्ट खासकर दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने के पक्ष में हैं।
सुप्रीम कोर्ट मौजूदा केंद्र सरकार से इस संबंध में अब तक की गई कोशिशों के बारे में पूछ चुका है, जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय विधि आयोग से राय मांगी गई है।इधर, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।अब मुख्यमंत्री धामी का समान नागरिक संहिता को लेकर आगे का स्टैंड काफी अहम होगा। चूंकि केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है और वो चुनावी घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा भी कर चुकी है, इसलिए उम्मीद तो बनती है। धामी अगर इसमें सफल हो गए तो राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी विशिष्ट छवि बन जायेगी।