उत्तरकाशी आपदा: जेवर-रेको डिटेक्टर मशीनें मलबे में तलाश रहीं जिंदगी, धराली गांव के ऊपर लगाया वॉर्निंग सिस्टम
बचाव दल चार दिनों से जेवर और रेको डिटेक्टर मशीनों की मदद से मलबे में दबे लोगों को ढूंढने में लगे हुए हैं। वहीं एनडीआरएफ ने धराली गांव के ऊपर एक वार्निंग सिस्टम स्थापित की है।
बचाव दल चार दिनों से जेवर और रेको डिटेक्टर मशीनों की मदद से मलबे में दबे लोगों को ढूंढने में लगे हुए हैं। वहीं एनडीआरएफ ने धराली गांव के ऊपर एक वार्निंग सिस्टम स्थापित की है।
उपयोग की जा रही ये मशीनें
जेवर और रेको डिटेक्टर मशीनें : इन मशीनों का इस्तेमाल आमतौर पर बर्फ से ढके क्षेत्रों में लोगों को खोजने के लिए किया जाता है। ये मशीनें किसी भी दबे हुए व्यक्ति के पास मौजूद मोबाइल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सेंसर को पकड़ती हैं। जेवर मशीन लगभग 20 मीटर तक की गहराई में पता लगा सकती है। वहीं रेको मशीन 8 से 10 मीटर की गहराई तक काम कर सकती है। हालांकि धराली में मलबे की अत्यधिक मात्रा के कारण इन मशीनों से अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
वहीं, धराली में एनडीआरएफ के कंट्रोल रूम के साथ इंसीडेंट कमांड पोस्ट स्थापित हो गई है। आपदा प्रभावित क्षेत्र को इंसीडेंट कमांडर ने सेक्टर में बांट दिया है। वहीं, अब तक आपदा प्रभावित क्षेत्र से करीब 1300 लोगों को निकाला जा चुका है। प्रशासन का मानना है कि फंसे हुए करीब सभी लोगों को निकाल लिया गया है।
इसमें सेक्टर-ए की जिम्मेदारी एनडीआरएफ, सेक्टर-बी की जिम्मेदारी सेना, सेक्टर-सी की जिम्मेदारी एसडीआरएफ, सेक्टर-डी की जिम्मेदारी आईटीबीपी को सौंपी गई है। रोड सेक्टर की जिम्मेदारी लोनिवि, बीआरओ तथा बीजीबी रुड़की को सौंपी गई है। सोमवार कासे 635 पैकेट सूखे राशन के भेजे गए हैं
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि हर्षिल में एयरटेल, जीओ, बीएसएनएल की मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल कर दी गई है। हर्षिल में माइक्रो हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना में विद्युत उत्पादन बहाल होने के साथ ही पावर हाउस तक बिजली आ रही है। मौके पर एनडीआरएफ के छह तथा एसडीआरएफ के चार ड्रोन से निगरानी की जा रहा है। वहीं, मौसम खराब होन के कारण यूकाडा के हेलिकाप्टर उड़ान नहीं भी सके हैं।