वारिस को मिलेगी मृत्यु से पहले जमा राशि की वैधता
देहरादून। उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग की एक लंबे समय से चली आ रही गलत व्यवस्था आखिरकार समाप्त होने जा रही है। अब किसी पेंशन लाभार्थी की मृत्यु से पहले उसके खाते में जमा पेंशन राशि विभाग वापस नहीं मांग सकेगा। यह बदलाव विभाग ने स्वयं नहीं किया, बल्कि उत्तराखंड सूचना आयोग की सख्त टिप्पणी और हस्तक्षेप के बाद सरकार को मजबूरन नियम बदलने पड़े हैं।
मामला देहरादून के मेहूंवाला माफी निवासी मेहरबान अली की मां बतूल बानो से जुड़ा है, जिन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी। 24 दिसंबर 2024 को उनकी मृत्यु के बाद भी विभाग ने दो किश्तों में 3000 रुपये उनके खाते में भेज दिए। मेहरबान अली यह राशि लौटाने को तैयार थे, लेकिन जिला समाज कल्याण अधिकारी ने उनसे मृत्युपूर्व खाते में जमा 7500 रुपये भी वापस करने का नोटिस जारी कर दिया। कुल 10,500 रुपये की मांग से परेशान होकर उन्होंने आरटीआई लगाई और विभाग से पूछा कि किस नियम के तहत यह वसूली की जा रही है।
समुचित जवाब न मिलने पर मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा। सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने विभागीय अस्पष्टता और गलत व्याख्या पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों पर प्रश्नचिह्न लगाती है, इसलिए इस पर स्पष्ट नीति आवश्यक है। आयोग ने समाज कल्याण निदेशालय (हल्द्वानी) और जिला समाज कल्याण अधिकारी देहरादून को उच्च स्तर से दिशा-निर्देश प्राप्त कर अपीलकर्ता को सत्यापित प्रति देने के निर्देश दिए।
आयोग के कठोर रुख का असर तुरंत देखने को मिला। निदेशक समाज कल्याण ने आयोग को अवगत कराया कि शासनादेश में संशोधन के लिए शासन को पत्र भेज दिया गया है। संशोधन प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि
मृत्यु के बाद खाते में गई पेंशन राशि वापस ली जाएगी,
जबकि मृत्यु से पहले खाते में जमा धनराशि पर वारिस/नामित व्यक्ति का पूरा अधिकार होगा।
संशोधित शासनादेश जारी होते ही उसकी प्रति सूचना आयोग को भेजी जाएगी। इस कदम से भविष्य में मृतक पेंशनभोगियों के परिवारों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी और विभागीय प्रक्रियाओं में स्पष्टता आएगी